निर्णायक मंडल (जूरी पैनल)

पारदर्शिता और निष्पक्षता की गारंटी

बाँदा गौरव सम्मान – संघर्ष से सफलता कार्यक्रम में पारदर्शिता, निष्पक्षता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु एक अनुभवी एवं प्रतिष्ठित निर्णायक समिति का गठन किया गया है। यह समिति सभी नामांकनों की गहन समीक्षा कर, संघर्ष, सामाजिक योगदान और प्रमाणिकता के आधार पर योग्य प्रतिभाओं का चयन करेगी।

निर्णायक मंडल के सम्मानित सदस्यगण

पद्मश्री उमाशंकर पांडेय

पद्मश्री उमाशंकर पांडेय

सामाजिक कार्यकर्ता

भूजल संरक्षण और पर्यावरण सुधार में उल्लेखनीय योगदान। 2005 में प्रारंभ किया गया उनका अभियान "खेत में मेड़, मेड़ पर पेड़" आज एक जनांदोलन बन चुका है। पद्मश्री से सम्मानित, समाज के लिए समर्पित व्यक्तित्व।

डॉ. हीरा लाल

डॉ. हीरा लाल (I.A.S.)

पूर्व जिलाधिकारी, बाँदा

एक प्रेरक प्रशासनिक अधिकारी जिन्होंने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अपनी सेवा के दौरान नवाचार, सुशासन और जन-संवाद को नया आयाम दिया। आमजन से सीधा संवाद और व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए चर्चित।

युवराज सिंह

युवराज सिंह

पूर्व विधायक व पूर्व एम.एल.सी.

हमीरपुर सदर से दो बार विधायक और एक बार बाँदा-हमीरपुर से एम.एल.सी. रहे। सामाजिक सरोकारों, शिक्षा और क्षेत्रीय विकास में सक्रिय भूमिका निभाने वाले जनप्रतिनिधि।

डॉ. एन. के. बाजपेयी

डॉ. एन. के. बाजपेयी

निदेशक, प्रसार, बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा

कृषि शिक्षा, अनुसंधान और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में विशेष योगदान। ग्रामीण विकास और किसानों के लिए प्रशिक्षण व समाधान देने में अग्रणी।

अशोक त्रिपाठी 'जीतू'

अशोक त्रिपाठी 'जीतू'

वरिष्ठ वकील, राजनेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता

वरिष्ठ नेतृत्व, सामाजिक चेतना और जनहित के मामलों में सक्रिय हस्तक्षेप रखने वाले प्रभावशाली व्यक्तित्व। कानून, जनसंघर्ष और समाजसेवा के क्षेत्रों में उनका गहरा अनुभव उन्हें जनपक्षधर नेतृत्वकर्ता बनाता है।

डॉ. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ‘ललित’'

डॉ. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ‘ललित’

साहित्यकार,कवि और शिक्षाविद

बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध साहित्यकार, हिंदी के कवि और शिक्षाविद् है, जिनकी रचनाओं में राष्ट्रभक्ति, मानवीय मूल्य और सामाजिक जागरूकता की गहरी छाप मिलती है। उन्हें साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

सुधीर निगम

सुधीर निगम

वरिष्ठ पत्रकार

पत्रकारिता जगत में 50 वर्षों से सक्रिय, बुंदेलखंड विशेषकर बाँदा की जनभावनाओं और जमीनी सच्चाइयों की आवाज़ बने रहे हैं। उनकी लेखनी, विश्लेषण क्षमता और सत्यनिष्ठ कार्यशैली ने पत्रकारिता को विश्वसनीयता और सामाजिक सरोकार का मजबूत आधार दिया है।

डॉ. शबाना रफीक

डॉ. शबाना रफीक

शिक्षाविद एवं समाजसेवी

स्वास्थ्य क्षेत्र में डॉक्टर होने के साथ-साथ महिलाओं के सशक्तिकरण, स्वास्थ्य जागरूकता और सामाजिक उत्थान में सक्रिय योगदान दे रही हैं। उनकी पहचान एक संवेदनशील शिक्षाविद एवं जागरूक समाजसेवी के रूप में है।

डॉ. शबाना रफीक

प्रो. दीपाली गुप्ता

(प्राचार्या , राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बाँदा)

अंग्रेज़ी साहित्य की विदुषी एवं अनुभवी शिक्षाविद् हैं। छात्राओं के शैक्षणिक एवं व्यक्तित्व विकास के लिए सतत कार्यरत हैं। शिक्षा में गुणवत्ता और नवाचार को बढ़ावा देना उनका प्रमुख लक्ष्य है।

निर्णायक प्रक्रिया

1

नामांकन समीक्षा

सभी नामांकनों की गहन समीक्षा और दस्तावेज़ों का मूल्यांकन

2

मापदंड मूल्यांकन

संघर्ष, सामाजिक योगदान और प्रमाणिकता के आधार पर मूल्यांकन

3

अंतिम चयन

सर्वसम्मति से योग्य प्रतिभाओं का अंतिम चयन

निर्णायक मंडल के सिद्धांत

पारदर्शिता

सभी निर्णय पूर्ण पारदर्शिता के साथ लिए जाते हैं। चयन प्रक्रिया में कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

निष्पक्षता

सभी नामांकनों का निष्पक्ष मूल्यांकन किया जाता है। व्यक्तिगत संबंधों का कोई प्रभाव नहीं।

गुणवत्ता

उच्चतम गुणवत्ता मापदंडों के आधार पर चयन। संघर्ष और योगदान का विशेष ध्यान।

सामाजिक प्रभाव

समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को प्राथमिकता।

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